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इतिहास सामाजिक मुद्दे 

अंबेडकर जयंती 2024 (अंबेडकर स्मृति दिवस)

Posted on April 5, 2024 - 9:27 am by

अंबेडकर जयंती या भीम जयंती या अंबेडकर स्मृति दिवस (14 अप्रैल) को डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष की तरह, राष्ट्र इस वर्ष भी 14 अप्रैल 2024 को भीमराव अंबेडकर जयंती को मनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। NEXT IAS का यह लेख भीमराव अंबेडकर जयंती का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है, जिसके अंतर्गत इस दिवस के इतिहास, महत्त्व और संबंधित तथ्य शामिल है।

बाबासाहेब अंबेडकर जयंती, जिसे भीम जयंती या अंबेडकर स्मृति दिवस के नाम से भी जाना जाता है, भारत में प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को मनाई जाती है। इस दिन दलितों के नेता और भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार डॉ. बी.आर. अंबेडकर जी की जयंती है। यह दिन हमें डॉ. अंबेडकर के असाधारण योगदान की याद दिलाने के साथ-साथ समानता और सामाजिक न्याय के लिए हमारी निरंतर यात्रा पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है।

तिथि14 अप्रैल
अन्य नामभीमराव अंबेडकर जयंती, बाबासाहेब अंबेडकर जयंती, भीम जयंती, अंबेडकर स्मृति दिवस, समानता दिवस
प्रारम्भ1928 में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की जयंती को एक उत्सव के रूप में मनाना शुरू किया गया।
उद्देश्यडॉ. अंबेडकर के जीवन एवं विरासत को एक उत्सव के रूप में मनाना तथा समानता एवं सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना।
थीमआमतौर पर, इस समारोहों के लिए कोई पूर्व-घोषित थीम नहीं होती है। हालाँकि, अधिकांश कार्यक्रम “समानता और सामाजिक न्याय” की थीम पर आयोजित किए जाते हैं।

भारतीय संविधान के जनक के रूप में प्रसिद्ध भीमराव रामजी अम्बेडकर भारतीय इतिहास में एक महान व्यक्तित्व हैं। उन्होंने दलित वर्गों के उत्थान के साथ-साथ भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत में दलित वर्गों के लिए समानता और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने में लगा दिया।

14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू (अब अंबेडकर नगर) में जन्मे अंबेडकर जी की विरासत को ढेर सारे योगदानों से चिह्नित किया गया है। वह दलितों और अन्य उत्पीड़ित समुदायों के उत्थान के लिए एक शक्तिशाली आवाज बने और भारत में अन्यायपूर्ण जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़े। प्रारुप समिति के अध्यक्ष के रूप में, अंबेडकर जी ने भारतीय संविधान को गढ़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिंदू कोड बिल को पारित कराने के प्रयास करके, उन्होंने भारत में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा दिया।

उनके अपार योगदानों के कारण ही पूरे भारत में प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को भीमराव अंबेडकर जयंती या भीम जयंती या अंबेडकर स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉ. बी.आर. अंबेडकर पर हमारा विस्तृत लेख पढ़ें।

समारोहों का इतिहास समुदाय-आधारित स्मरणोत्सव से लेकर राष्ट्रीय दिवस मनाने तक का क्रमिक विकास है। इसकी उत्पत्ति और विकास की समयरेखा इस प्रकार देखी जा सकती है:

  • डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर के जन्मदिन को सबसे पहले सार्वजनिक रूप से मनाने का श्रेय 14 अप्रैल, 1928 को पुणे में सामाजिक कार्यकर्ता जनार्दन सदाशिव रानापिसाय को दिया जाता है।
  • इससे एक परंपरा की शुरुआत हुई, जिसे अंबेडकर जी के अनुयायियों ने वर्षों तक आगे बढ़ाया।
  • 20वीं सदी के मध्य में, जैसे-जैसे अम्बेडकर जी का कद बढ़ता गया, उनकी जयंती के उत्सव की मान्यता भी बढ़ने लगी।
  • हालाँकि, यह अभी भी राष्ट्रीय स्तर का आयोजन नहीं था।
  • वर्ष 1990 में, डॉ. अंबेडकर को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया। साथ ही, 1990-91 की अवधि को “सामाजिक न्याय का वर्ष” घोषित किया गया था।
  • इस दशक में अंबेडकर स्मृति दिवस को व्यापक पहचान मिलने लगी, कई राज्यों में इसे अनौपचारिक रूप से छुट्टी के रूप में मनाया जाने लगा।
  • इस समय के आसपास इस दिवस को संघ की सरकार की भी मान्यता मिलने लगी।
  • हालाँकि, राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने के लिए कोई विशिष्ट दस्तावेजित तिथि नहीं है, हाल के वर्षों में केंद्र सरकार के कार्यालय पिछले कुछ वर्षों से इस दिन को अवकाश के रूप में मना रहे हैं।

भारत में अंबेडकर स्मृति दिवस समारोह पूरे देश में विभिन्न आधिकारिक और सार्वजनिक कार्यक्रमों द्वारा चिह्नित किया जाता है। सरकारी निकाय, शैक्षणिक संस्थान, गैर-सरकारी संगठन आदि पूरे देश में इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं।

यहाँ भारत में भीम जयंती समारोह के तहत होने वाले कुछ सामान्य कार्यक्रमों का अवलोकन इस प्रकार है:

  • सरकारी समारोह: स्मारक सिक्के जारी करना, सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करना आदि शामिल हैं।
  • श्रद्धांजलि समारोह: सभी भारतीय डॉ. अंबेडकर की प्रतिमाओं और स्मारकों पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्र होते हैं।
  • शैक्षणिक कार्यक्रम: स्कूल और विश्वविद्यालय अंबेडकर जी के जीवन, दर्शन और योगदान के बारे में युवा पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए सेमिनार, व्याख्यान और चर्चा आयोजित करते हैं।
  • प्रदर्शनी: देश भर में विभिन्न स्थानों पर अंबेडकर के जीवन और कार्य को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं।
  • जुलूस और रैलियाँ: उत्सवों के हिस्से के रूप में सार्वजनिक जुलूस और रैलियाँ बहुत आम हैं।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम: समानता और सामाजिक न्याय के विषयों को दर्शाने वाले पारंपरिक नृत्य और संगीत प्रदर्शन समारोहों में एक सांस्कृतिक आयाम जोड़ते हैं।
  • भाषण और चर्चाएं: सामाजिक न्याय और जाति भेदभाव से जुड़े मुद्दों पर भाषण एवं चर्चाएँ।

हालाँकि यह दिन मुख्य रूप से डॉ. अंबेडकर की जयंती के रूप में मनाया जाता है, लेकिन समारोह कई उद्देश्यों के इर्द-गिर्द घूमते हैं। अंबेडकर स्मृति दिवस समारोह के कुछ प्रमुख उद्देश्यों को निम्न प्रकार से देखा जा सकता है:

  • अंबेडकर जी के योगदान का सम्मान: प्राथमिक उद्देश्य भारतीय समाज में डॉ. अंबेडकर के अपार योगदान को सम्मानित करना और याद रखना है।
  • शैक्षिक जागरूकता: विभिन्न कार्यक्रमों और आयोजनों के माध्यम से, समारोह जनता, विशेष रूप से युवा पीढ़ी को डॉ. अंबेडकर की दृष्टि और दर्शन के बारे में शिक्षित करने में मदद करते हैं।
  • सामाजिक समानता को बढ़ावा देना: डॉ. अंबेडकर समानता के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने जाति व्यवस्था एवं छुआछूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी। समारोह का उद्देश्य सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के उनके आदर्शों को बढ़ावा देना है, लोगों को ऐसे समाज की ओर काम करने के लिए प्रोत्साहित करना है जहाँ सभी के साथ समान व्यवहार किया जाए।
  • सामाजिक परिवर्तन और सुधार को प्रेरित करना: डॉ. अंबेडकर के संघर्ष और उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, इसका उद्देश्य लोगों को सामाजिक अन्याय और असमान समाज के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करना है।
  • सभी समुदायों के बीच अम्बेडकर जी के सद्भाव के दृष्टिकोण को बढ़ावा देकर, यह राष्ट्रीय एकता और एकीकरण को बढ़ावा देने में मदद करता है।
  • इस अवसर पर कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा प्रारम्भ की गई सामाजिक पहल और सामुदायिक विकास परियोजनाएं हाशिए के समुदायों के उत्थान में सहायता करती हैं।
  • यह उत्सव व्यक्तियों और समुदायों को सामाजिक सुधार के लिए काम करने, पीड़ितों और वंचितों के अधिकारों और सम्मान की वकालत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह समानता और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने की दिशा में हमारी चल रही यात्रा पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • यह समारोह भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। समारोह के दौरान शिक्षा पर नए सिरे से ध्यान देने से विशेष रूप से हाशिए के समुदायों के लिए शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के निरंतर प्रयासों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

भीमराव अंबेडकर जयंती सिर्फ एक महान नेता के जन्म को याद करने का दिन नहीं है बल्कि उनके द्वारा समर्थित मूल्यों और भारतीय समाज पर उनके परिवर्तनकारी प्रभाव को मनाने का भी दिन है। डॉ. बी.आर. अंबेडकर का जीवन और कार्य भारत एवं दुनिया भर में लाखों लोगों को सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करता रहता है। जैसा कि हम अंबेडकर स्मृति दिवस को मना रहें हैं, आइए हम उनके द्वारा समर्थित आदर्शों के लिए स्वयं को फिर से प्रतिबद्ध करें और एक समावेशी एवं समानता पर आधारित भारत को उनके सपने को साकार करने की दिशा में कार्य करें।

हम अंबेडकर जयंती क्यों मनाते हैं?

भारत में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की जयंती को चिह्नित करने के लिए अंबेडकर जयंती मनाई जाती है।

डॉ. बीआर अंबेडकर का जन्म कहाँ हुआ था?

डॉ. बी.आर. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू (अब अंबेडकर नगर) में हुआ था।

क्या अंबेडकर जयंती राष्ट्रीय अवकाश है?

अंबेडकर जयंती भारत में राष्ट्रीय अवकाश नहीं है। हालाँकि, यह कई भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सार्वजनिक अवकाश है।

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